सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस लीडर शशि थरूर, सीनियर जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई और अन्य लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। इन पर 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत से जुड़ी गलत जानकारी शेयर करने का आरोप है। इसके बाद इनके खिलाफ कई जगह FIR दर्ज की गई थी, जिसे इन्होंने कोर्ट में चुनौती दी थी।
थरूर और सरदेसाई की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने जजों से अपने क्लाइंट्स की गिरफ्तारी पर तुरंत रोक लगाने की मांग की। इस पर चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने कहा कि वे मामले की अगली सुनवाई तक सभी की गिरफ्तारी पर रोक लगा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा सरकार को नोटिस देकर FIR दर्ज करने पर जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान सिब्बल ने इस मामले की सुनवाई के लिए आगे कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने की गुहार लगाई। इस पर चीफ जस्टिस ने उनसे पूछा कि उन्हें कहां खतरा है?
दिल्ली पुलिस ने कहा- इनके ट्वीट का का भयावह असर होता
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से CJI से पूछा कि क्या आप उन्हें (थरूर और राजदीप) गिरफ्तार करने वाले हैं, जब तक कि हम आपका पक्ष नहीं सुन लेते। इस पर मेहता ने जवाब दिया कि आरोपियों के ट्वीट्स में भयावह असर के बारे में हमेशा सोचना चाहिए, क्योंकि उनके कई फॉलोअर हैं।
मेहता ने यह भरोसा दिया कि आरोपियों को सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इनमें सरदेसाई और थरूर के अलावा अनंत और परेश नाथ, मृणाल पांडे, जफर आगा और विनोद के जोस शामिल हैं।
नोएडा और भोपाल में केस दर्ज
शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे सहित 8 हस्तियों के खिलाफ इस मामले में दो मामले दर्ज हुए हैं। पहला राजद्रोह का मामला नोएडा के सेक्टर-20 थाने में दर्ज किया गया। इसमें सभी लोगों को 26 जनवरी को लाल किले पर हुए उपद्रव के दौरान सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दंगा भड़काने, हिंसा फैलाने की धाराओं के तहत भी आरोपी बनाया गया है।
दूसरा मामला भोपाल के मिसरोद थाने में दर्ज हुआ है। इसमें थरूर समेत कई पत्रकारों के नाम हैं। इन सभी पर सार्वजनिक शांति भंग करने का आरोप लगा है।